जिस कार्यवाही से पाकिस्तान की सेना इतनी भयभीत हुई की उसने अपनी 5 बटालियन जिसमे की 600-900 सैनिक होते है ,उन सब ने बॉर्डर की ओर कूच किया। जिस कार्यवाही के बाद वहाँ की सरकार ने एक दिवसीय संसद केवल भारत के द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बात करने के लिए बुलाई। जिस पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की बात सुनकर वहां के नेता अपनी मर्यादा से ज्यादा खराब शब्दो का उपयोग भारत के खिलाफ कर रहे है , वहां के मीडिया पाकिस्तान के मिसाइलो और सैन्य ताकत के बारे में दिन रात रिपोर्ट दिखा रही है , जिसमे वह बता रहे है ,की उनकी अलग -अलग दूरी (जैसे 1000 ,2000 ,3000 ) की मिसाइल के निशाने भारत के अलग अलग शहरो का नाम लेकर बता रहे है और वह बार -बार परमाणु बम की भी धमकी दे रहे है।
पाकिस्तान इतने उतावलेपन में बयान दे रहा है जैसे वह भारत को भूटान या नेपाल समझ रहा है। पाकिस्तान भूल गया की बड़ा भाई हमेशा बड़ा होता है और छोटा हमेशा छोटा रहता है। पाकिस्तान की सरकार भूल गई कि जिस परमाणु बम की बात वह कर रही है वह भारत ने पाकिस्तान से कई सालो पहले ही इजात कर ली थी , और पाकिस्तान की कुल मिसाइलो की दूरी जोड़ ले तो भारत के केवल अग्नि 4 की दुरी उनसे कही ज्यादा है।
खैर परायो की बात छोड़ हमें अपने देश देश के बात इस समय करनी चाहिए क्यों कि हमें दुसरो को देखकर काम नही करना चाहिए या उनकी बातो को नही मानना चाहिए क्यों की उनका काम है की सर्जिकल कारवाई को दुनिया के सामने झूठा साबित करे लेकिन हमारा काम है की सेना द्वारा की गयी कारवाई को समर्थन करना और कूटनीति के द्वारा विश्व को अपनी क्षमता और पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करना चाहिए।
अगर हम सोचे ,कि नेता सबूत क्यों मांग रहे है , इस सर्जिकल स्ट्राइक का इतना शोर क्यों ,क्या राजनीतिक फायदे के लिए ?
शायद हा या ना , इस प्रश्न को उत्तर तो वोटर चुनाव के समय बता देगी लेकिन क्या इससे पहले सेना ने कोई ऐसी कारवाई नही की अगर हा तो जनता को बताया क्यों नही या तत्कालीन सरकार ने इसकी मंजूरी नही दी या सरकार व सेना चाहते नही थे की देश या विश्व को भारतीय सेना की क्षमता के बारे में नही बताना चाहते थे , बरहाल कुछ भी हुआ हो लेकिन उस समय कभी इतना प्रचार नही हुआ , जितना की आज हो रहा है।
बढ़ते राजनीतिक माहौल के बीच सर्जिकल स्ट्राइक पर बहस और भी बढ़ गई है , और विपक्षी पार्टियों को डर है , की सरकार कही इसका फायदा आगामी 5 राज्यो के चुनाव में ना ले ले। इसलिए सभी ने सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है।
लेकिन सोचने योग्य केवल एक बात है ,की जनता को क्या सर्जिकल स्ट्राइक से मतलब है या उसे भी सबूत चाहिए , इस प्रश्न को उत्तर तो जनता चुनाव के समय ही देगी।